सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं:-
1. सिंधु घाटी सभ्यता की जानकारी:-
सन 1921 से पहले सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में किसी को कोई खास जानकारी नहीं थी परंतु 1920 में दयाराम साहनी एवं माधव सवरूप वत्स के नेतृत्व में हड़प्पा नगर में उत्खनन का कार्य हुआ।
1922 में राखल दास बनर्जी के नेतृत्व में मोहनजोदड़ो की खुदाई का कार्य प्रारंभ किया गया सन 1923 में भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से सर जॉन मार्शल ने बड़े पैमाने पर खुदाई का कार्य प्रारंभ किया जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता की जानकारी प्राप्त हुई ।
2. सिंधु घाटी सभ्यता का नामकरण:-
इसके अधिकतर अवशेष सिंधु नदी के तट पर प्राप्त हुए हैं इसलिए इसे सिंधु घाटी नाम दिया गया सिंधु सभ्यता का खोदा गया सबसे पहला नगर हड़प्पा था इसलिए इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है सिंधु सभ्यता के लगभग दो तिहाई पुराने स्थल सरस्वती व उनकी सहायक नदी के किनारे प्राप्त हुए हैं इसलिए इसे सिंधु सरस्वती सभ्यता कह सकते हैं।
3. सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार चित्र:-
इस सभ्यता का विस्तार अफगानिस्तान बलूचिस्तान पंजाब हरियाणा राजस्थान गुजरात उत्तराखंड और उत्तर भारत में गंगा घाटी तक व्याप्त था
सिन्धु घाटी सभ्यता का विस्तार
इस सभ्यता का विस्तार पूर्व से पश्चिम 1600 KM है और उत्तर से दक्षिण की और लंबाई 1400 किलोमीटर है सिंधु घाटी सभ्यता का क्षेत्रफल 13लाख 50 हजार वर्ग किलोमीटर है
4. सिंधु घाटी सभ्यता के निर्माता:-
डॉ लक्ष्मण स्वरूप, रामचंद्रन ,शंकरानंद इन सभी का मानना था कि सिंधु घाटी सभ्यता में जो लोग रहते हैं वह आर्य समाज के थे। लेकिन डॉ राखालदास बनर्जी का कहना था कि वे लोग द्रविड़ थे अर्थात सभी लोगों का यही माना था कि वह लोग द्रविड़ थे
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